पटना 29 अक्टूबर 2024

हर साल कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है. इस दिन सोने-चांदी और नए बर्तनों की खरीदारी करना बहुत शुभ माना जाता है। धनतेरस की शाम को धनवंतरी और भगवान कुबेर की पूजा के बाद संध्या बेला में यम का दीपक जलने की परंपरा प्राचीन काल से ही चली आ रही है।

लेकिन क्या आप जानते हैं यम का दीपक क्यों जलाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यमराज के नाम का दीपक जलने से अकाल मृत्यु और दुर्घटना का भय टल जाता है।

कैसे जलाएं यम का दीपक?

यम का दीपक जलाने के लिए मिट्टी का एक बड़ा और चौमुखा दीपक लें. इसमें चार बत्तियां लगाएं और सरसों का तेल भर दें. फिर शाम को प्रदोष काल में परिवार के सारे सदस्यों की उपस्थिति में इस दीपक को जलाएं। इस दीपक को घर के कोने-कोने में ले जाएं. इसके बाद इसे घर के बाहर दक्षिण दिशा की ओर रख दें।

दीपक जलाने के पीछे की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, किसी राज्य में हेम नामक राजा था. ईश्वर की कृपा से उन्हें एक पुत्र प्राप्त हुआ. बेटे की कुंडली में लिखा था कि शादी के चार दिन बाद राजकुमार की मृत्यु हो जाएगी। ऐसे में राजा ने उसे ऐसी जगह भेज दिया, जहां किसी लड़की की परछाई भी उस पर न पड़े लेकिन वहां उन्होंने एक राजकुमारी से विवाह कर लिया.
रीति के अनुसार, विवाह के चौथे दिन यमराज के दूत राजकुमार के पास आ गए। राजकुमार की पत्नी विलाप करने लगी और दूतों से अकाल मृत्यु से बचने का उपाय जाना। दूतों ने ये सारी बातें यमराज को बताई । तब यमराज ने कहा कि मृत्यु अटल है। लेकिन धनतेरस के दिन यानी कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन जो व्यक्ति दीप प्रज्जवलित करेगा, वह अकाल मृत्यु से बच सकता है। यही वजह है कि हर साल धनतेरस पर यम का दीपक जलाने की परंपरा है।

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